लेखनी प्रतियोगिता दर्द सुनाती हूं
दर्द सुनाती हूँ
चलो आओ थोड़ा दर्द सुनाती हूं,
आज सब दस्तावेज दिखाती हूं।
एहसास कागज पर लिख जाती हूं,
लोग कहते हैं क्या रखा है इन बातों में।
तुम तो कवि हो , कविता खूब कहती हो
पैसा कमाने का माध्यम बनाओ,
रचनाएं तुम्हारी आती हैं अखबारों में नित।
चलो छोड़ो पैसा क्या कमाएंगे
हम तो अपने भाव कागज से कह जाएंगे।
सोचती हूं लिखते लिखते कुछ ऐसा लिख जाऊंँ,
हीरे जवाहरात से अनमोल तुम्हें लगे।
तुम्हारे दिल को छू जाए मुझे बड़े कीमती लगे,
नहीं तो कचरे कबाड़ सी कीमत है।
कहांँ से लाऊंँ सुख के दस्तावेज,
आशावादी हूंँ निराशा नहीं बिखेरती।
कवि हूं भावुक भावनाओं में रहती हूं।
हर परिस्थिति में आशा की किरण ढूंढती हूंँ।
चने मूंगफली खाती हूं,
काजू बदाम का एहसास रखती हूँ।
कमाती कुछ नहीं बस शब्दों को,
हीरे सा जगमगा दूंँ,
तराशने का जज्बा रखती हूं।
चलो छोड़ो क्या कमाया क्या खोया,
बैलेंस शीट तो बाद में बनेगी।
रचना पर सुंदर लाइक कमेंट से,
मेरी कविता आगे बढ़ेगी।
छुएगी तुम्हारे दिल को,
तभी तो इसकी महक बढ़ेगी।
रचनाकार ✍️
मधु अरोरा
Chetna swrnkar
24-Aug-2022 12:17 PM
बहुत सुंदर रचना
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Ajay Tiwari
23-Aug-2022 09:47 PM
Very nice
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Mithi . S
23-Aug-2022 01:27 PM
Lajawab 👌
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